एक सेठ छकड़ौ जोतनै आपरै सासरै जावतौ हौ। साथै सेठाणी अर उणरौ बैटौ भी हौ। बैटा री उमर सतरा-अठारा बरस हीं। सूरज मथारै आयौड़ौ हौ अर वै हौळौ-हौळै बळदां नै खड़ता हा। मारग में एक जाड़ी घेर-घुमेर बोरड़ी रै टेटे वे छकड़ौ ढाबियौ। सेठाणी कहयौ-धमैक बिसाई खायनै दौफरी करलां। बोरड़ी री छींया नांमी है। वौ कटोरदांन खालनै रोटिया खावण ढूंका के वांनै दोय घोड़िया सरणाट साम्हीं आवती दीसी। धोड़िया रा असवार ई बोरड़ी हैटे छकड़ौ देख्यौ तौ लगांम खांची। सेठां ने कहयो-कोई म्हारीं पूछै तौ बताजौ मती। जै बताय दियौ तौ थें थारी जाणौ। आ कैयनै वै दोनूं चोर भरणाटै डावै पसवाड़े उजड़ टळग्या। थोड़ी ताळ पछे जीम-जूठने सेठ पाछो छकड़ौ। जोतियौ। दूजा दौय असवार वळै आवता दीखिया। ै कदास घोड़िया रा धणी हा। चोरां नें पकड़गण सारू वारै लारै वार चढ़या हा। घोड़िया रै खोजा-खोजां वै उणी मारग लारै उड़ता आया हा। पण तौ ई खासी छेती रैगीं। सिरदार छकड़ा रै पाखती आयनै घोड़िया ढाबा। आखता पड़नै पूछियौ-सेठां, अठीकर दोय घोड़िया जाती देखी कांई। सेठ रै जवाब दैवे उण सूं पैला उणरौ बीच में बौल्यौ-हां देखी। सिरदार वळै पूछयौं-उणरौ रंग कैड़ौ हौ ?वो दीखण में कैड़ी हीं ? चोरां रौ तौ ना दियौड़ौ हौ इण उपरांत सेठ सौच्यौ के घोड़िया हाथ आया पछै गवाईयां में फिरणौ पड़ैला। कुण मारग चालता घांदा में पड़ै। वै बैठा नै इसारौ करियौ तौ ई वौ समझियौं कोनीं। कोड़यौ होयनै साची बात कैवण लागौ-रांत रंग री फूठरी घोड़िया हीं। तद सेठ बळदा री रासां तणकार नै कह्यौ-चेत, चेत। अबे जावतौ वौ सांनी में समझग्यौ। भोळौ गणनै हाथ उंचै करियौ। खुंणी रे आंगळियां लगायनै कहयौ-फैर घोड़िया रै इता लांबा-लाबंबा सींगड़ाहा। सिरदार नै ई उणरी बात सुणनै हंसी छूटगी। कह्यौ-बावळा, घोड़िया रै ई कदै ई सींगडा हंसता थका कहयौ-बांणिया रा बैटा, घोड़िया मंे काई समझै। औ तो टाबर है। आपनै यू झूठ ई बताय दियौ। म्हां तौ घोड़िया देखी नीं कोई घोड़ा देखिया। आ कैयनै सेठ ई आपरै मारग बळ खड़िया अर सिरदार ई आपरी घोड़िया चोरां रै लारै बगडाई।
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
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