समर चढै़ काठां चढै़, रहै पीव रै साथ।
एक गुणा नर सूरमा, तिगुण गुणा तमय जात॥
चन्द ऊजाळै एक पक, बीजै पख अंधिकार।
बळ दुंहु पाख उजाळिया, चन्द्रमुखी बळिहार॥
खाटी कुळ रो खोयणां, नेपै घर घर नींद।
रसा कंवारी रावतां, वीर तिको ही वींद॥
ऊंघ न आवै त्रण जणां, कामण कहीं किणांह।
उकडू थटां बहुरिणां, बैर खटक्के ज्यांह॥
एक्कर वन वसंतड़ा, एकर अंतर काय।
सिंघ कवड्डी ना लहै, गँवर लक्ख विकाय॥
Ratan Singh Shekhawat,
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
rastra bhasha main shiksha hona hi chahiye balki shiksha Bachchon ki bhasha main honi chahiye