बोलो-बोलो रे भायला, अठै की नीं आणी-जाणी छै।
व्है छै कीं उठै, जठै खीरा भळ-भळता व्है।
भर काळजे बारूद, घूमतो हरेक जोध व्है।
बात साटै सिर देवण नैं तातो कुंचो-कुंचो व्है।
जठै अन्याव रै सांमी लड़-भिड़णो ही धर्म व्है।
इसड़ै जोधां रै सांमी लुळ्यो, जमानो छै।
पण तूं बोलो-बोलो रे भायला, अठै की नीं आणी-जाणी छै।
विनोद सारस्वत
प्रमोद सराफ हमारे बीच नहीं रहें।
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* प्रमोद्ध सराफ एक स्मृति*
*-शम्भु चौधरी, कोलकाता-*
*"युवा शक्ति-राष्ट्र शक्ति" *का उदघोष करने वाले गुवाहाटी शहर के वरिष्ठ
अधिवक्ता और *अखिल भारतीय मारवा...
1 हफ़्ते पहले
बढ़िया सा .जबर निजरियो है .