राजस्थानी हु प्रेम करणीया चावे तो, ब्याव-शादी री कूकू पत्री राजस्थानी मा छीपा सके |
इऊ आपणो अर् आपणी भासा रो मान बधसी| घणी मेनत हु इक कू-कू पत्री लाधी,
बीरो नमूणौ देऊ हु ।
< ईष्ट देब रो मंतर >
श्री ****** री घणी किरपा हु
<बींद रो नाम >
<बाप-दादा रो नाम अर् ठिकाणौ>
व
<बधू रो नाम >
<बधू रा बाप-दादा रो नाम अर् ठिकाणौ >
रो शुभ-ब्याव
<मास बार तारीख > न होवाणों तय हुयो हे ।
म्हे हाथ जोढर घणेमाण हु आपणे अरज करा के ब्याव रे इण
मांगलिक ठाणे माथे राज रे पधारिया ही म्हारी शोभा व्हेलासा ।
*ब्याव रा नेगचार *
बान <तारीख > <समय >
भात <> <>
सामेळो <**> <**>
<बच्योडा कार्य-करम >
ठाणो : <कालोनी , शहर >
<जान रो ढूकबा रो समय >
पधारण री बाट जोवता
<बींद रे बडा रो नाम >
दर्शाणा रा कोडारू
<बींद रे बिराओ रो नाम >
दर्शाणा न उडिकता
<बींद रे ठेठू आला रो नाम >
Father day
-
-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
1 हफ़्ते पहले
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें