राजस्थानी हु प्रेम करणीया चावे तो, ब्याव-शादी री कूकू पत्री राजस्थानी मा छीपा सके |
इऊ आपणो अर् आपणी भासा रो मान बधसी| घणी मेनत हु इक कू-कू पत्री लाधी,
बीरो नमूणौ देऊ हु ।
< ईष्ट देब रो मंतर >
श्री ****** री घणी किरपा हु
<बींद रो नाम >
<बाप-दादा रो नाम अर् ठिकाणौ>
व
<बधू रो नाम >
<बधू रा बाप-दादा रो नाम अर् ठिकाणौ >
रो शुभ-ब्याव
<मास बार तारीख > न होवाणों तय हुयो हे ।
म्हे हाथ जोढर घणेमाण हु आपणे अरज करा के ब्याव रे इण
मांगलिक ठाणे माथे राज रे पधारिया ही म्हारी शोभा व्हेलासा ।
*ब्याव रा नेगचार *
बान <तारीख > <समय >
भात <> <>
सामेळो <**> <**>
<बच्योडा कार्य-करम >
ठाणो : <कालोनी , शहर >
<जान रो ढूकबा रो समय >
पधारण री बाट जोवता
<बींद रे बडा रो नाम >
दर्शाणा रा कोडारू
<बींद रे बिराओ रो नाम >
दर्शाणा न उडिकता
<बींद रे ठेठू आला रो नाम >
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
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*अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा*
लोगों को अब दंड नहीं बल्कि उनको न्याय दिलाया जाएगा। यह अलग बात है कि दंड
दिए बिना न्याय कैसे मिलेगा? सवाल खड़ा तो ...
8 माह पहले
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