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हे खडग।

Rao GumanSingh Guman singh

गरब गनीमा गालणी, दुज्जण दलणी रंग।
भारथ भवा भगीरथी, रंग क्रपाणी रंग।।
परचौं देवण में प्रचंड, अडतां पैलै आप।
सैणा मण सरसावणी, दुसमण दलणी दाप।।
चपळा सम चमकै चपळ, हण अरियण रण हुंत।
खट खग खल दल खौल दे, करामत कर कूंत।।
(हे खडग। 
तू ही प्रत्यक्ष शक्ति है। तू ही शत्रुओं के गर्व का चूर्ण करने वाली है और तू ही उन्हें प्रतिहत करने वाली है। स्पर्श होते ही तू प्रत्यक्ष चमत्कार दिखाने में समर्थ है तथा मित्रों की सहायक और शत्रुओं की शत्रु है। दुश्मनों के दर्प का दमन करने वाली है। समर भूमि में शत्रु सैन्य के संधी स्थलों को खटकी ध्वनी से खोल देने वाली तथा उन पर बिजली की भांती चमक कर प्रहार करने में सशक्त शक्ति तू ही है) 


एक आसरो वादळी

Rao GumanSingh Guman singh

आठूं पोर अडीकतां 
वीतै दिन ज्यूं मास।
दरसण दे अब वादळी 
मत मुरधर नै तास॥

आस लगायां मुरधरा 
देख रही दिन रात।
भागी आ तूं वादळी 
आयी रुत वरसात॥

कोरां-कोरां धोरियां 
डूंगां डूंगां डैर।
आव रमां अे वादळी 
ले-ले मुरधर ल्हैर॥

ग्रीखम रुत दाझी धरा 
कळप रही दिन-रात।
मेह मिलावण वादळी 
वरस वरस वरसात॥

नहीं नदी नाळा अठै
नहिं सरवर सरसाय।
एक आसरो वादळी
मरु सूकी मत जाय॥


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Posted By AAPNI BHASHA - AAPNI BAAT to AAPNI BHASHA-AAPNI BAAT at 7/16/2010 07:13:00 AM

अढाई आखर

Rao GumanSingh Guman singh

मोर री 'पिहू', कोयल री 'कुहू', पपीहै री 'पी पिव' अर टीटोड़ी री 'टी टिव' आप रै रूप में पूरी रट है। ऐ आप-आपरी विसेसता न्यारी-न्यारी राखै है अर जी रा भाव पूरै जोर सूं परगट करै है। इण रट नै चावै आं रो सुभाव समझो चावै प्रकृति री दात, पण मिनख री विसेसता आं सगळां सूं न्यारी है। मिनख बुद्धि रै परभाव सूं दूसरां री भासा अथवा भावां पर रीझ वांनै आपरा वणाणै रो सांग भरै है पण जद जी छोळां चढ़ै, कोड में रग-रग नाचै, बैं मस्ती में मातृभाषा री गोद में ही मोद आवै। जद वड़ां री बात याद आवै 'मांग्यां घीयां किसा चूरमा' अथवा भारी दुख सूं जी में ठेस लगै तो चट मा ही याद आवै, मांगेड़ी धाड़ के ठारै? जद इसी बात है तो दूजा क्यूं जी दोरो करै।

वादळी मरुधर नैं प्राणां सूं प्यारी है। बैं रै चाव नै कुण पूगै। रात-दिन आंख्यां में रमै। जैं रो नाम सुण्यां सुख ऊपजै। वाळकपणै सूं जिण में ऊंट-घोड़ां री अनेक कल्पना करी जावै, जिण में इंद्रधनस अर जळेरी जी ललचावै, इसी प्यारी चीज रा गुण दूसरी भासा में गाऊं, आ सोचण री विरियां कैं नैं? झट मुंह सूं 'वरसे भोळी वादळी आयो आज असाढ़' निकळतां ही 'रम रम धोरां आव' री रट लागै। जठै जी खोल मिलणो हुवै, दूजो वीचविचाव किसो? आपरी भासा अर आपरै भावां पर भरोसो चाहिजै।

-चंद्रसिंह


जीवण नै सह तरसिया बंजड़ झंखड़ वाढ।

वरसे, भोळी वादळी आयो आज असाढ॥
Posted By AAPNI BHASHA - AAPNI BAAT to AAPNI BHASHA-AAPNI BAAT at 7/13/2010 02:22:00 AM

मारु थारा देस में, निपजे तीन रतन

Rao GumanSingh Guman singh



कोई घोडो कोई पुरखडों, कोई सतसंगी नार।
सरजण हारे सिरजिया, तीनूं रतन संसार।।

जौधाणे री कामणी, गोखां काढै गात।
मन तो देवां रा डिगै, मिनखा कितीक बात।।


जोधाणो जसराज रो, खूबी करे खलक्क।
खावण पीवण गांठ रो, देखण री हलक्क।।

मारु थारा देस में, निपजे तीन रतन।
एक ढोला दूजी मारवण, तीजो कसूमल व्रन्न।।

खग धारां थोड़ां नरां, सिमट भरयो सह पाण।
इण थी मुरधर तरळ जळ, पाताळां परवांण।।

ऊमर घटे बढै कोनी

Rao GumanSingh Guman singh

एक गांव मं एक लुगाई आपरै मिनख रै सागै रेवती ही। ऐक भूत एणरै घर मंे घुस ग्यौ। भूत उत्पादी हौ। एकर वौ घर रा धणी नै मार दियौ। उण समै उणरी लुगाई पेट सूं ही। धणी रै मरिया पछै लुगाई सौवियौं के इण घर मं रेवण रौ फायदौं नीं है। भूत म्हारा टाबर अर म्हानै मार डालेला। आ बात सोच व आपरै पीहर निकलगी। वठै उणै छौरौ व्हियौ। छौरौ बदमास हो। वौ आपरा सागै खेलण वाला छोरा-छौरिया नै बात-बात माथै मारतौ हौ। एक उणरा सगी कह्यौ-थ्हारै बाप रौ थ्हानै पतो नीं अर म्हानै दिन भर ठोकै पीटै। छोरा रा मन मे आ बात घर कर गी। वौ घरै आयनै मां सूं बाप रै बारै मंे पूछियौ, मां सगळी बात बताय दी। छौरौ कह्यों, मां म्है तौ घरे जायनै ही रेवंूला। थूं भलै ही अठै रह। मां छोरा नै घणौ समझायौं पण वौ पक्को जिद्दी हौ नीं मानियौं जकौ नीं मानियो। वौ घरे व्हिर व्हियौ। घर पहुंचण रै पछै वौ घर साफ करियौं अर घणी सारी लकडियां भैळी करनै घर मंे ळाय लगाय दी। भूत आया तौ छौरौ लक्कड़ लैयर उण मौथै झपटौ मारियज्ञै। भूत डर ग्यौ, अर कह्यौं, कुण है रै ? छौरौ कह्यौ, म्हैं इण घर रौ धण्री हूं। म्हैं रोज खानौ बणफं ला, थूं रौज सामान लेयर आयजै। भूत बापड़ौ की करतौ ? वौ छोरा री बात मान ली। दोनूं ही सागै रैवण लागा। अेकर छोरौ पूछियौ थूं रोज किण ठौर जावे ? भूत कह्यौं, म्है भगवान रै दरीखानै जाया करू। आ बात सुण छोरौ कह्यज्ञै, कल जद थूं दरीखानै जावै तो भगवान सूं म्हारी उमर पूछनै आयजै ? दूजे दिन भूत आयनै छौरा नै बतायौ के थ्हारी उमर अस्सी बरस हैं। छौरौ कह्यौ, अबै औ पूछजै कै इण उमर मंे अेक या दो दिन अठीनै-उठीनै व्है सकै कीं। दूजें दिन भूत आयने कह्यौ, भगवान रौ कैवणौ है कै उमर मंे अेक दिन तौ दूर अेक घड़ी भर रौ फरक नीं व्है सकै। मौत तौ जिण समै लिखी है उण समै व्हैला ही। इतरौ सुणतौ ही छौरौ भूत माथै लकड़ी लैयर झपटियौ। भूत कह्यों, औ की करै ? म्है थ्हानै मार दूं ला। छोरौ कह्यौ, म्हारी उमर अस्सी बरस है, थूं तौ कीं भगवान भी म्हनै नी मार सके। थू म्हांसू बचनौ चावै तौ अठा सूं भाग जा,ं नैड़ौ भी मत दीखजै। भूत बापड़ौ नैनौं मुंडौ करनै वठा सूं निकलग्यौ। छौरौ मां नै भी वठै बुला ली। दोनू राजी खुसीं रैवण लागा।