मोंठ बाजरी मतीरा खेलर काचर खांण।
अन्न-धन्न धीणा धोपटा वरसाळे बिकांण॥
ऊंट मिठाई अस्तरी सोना गेणो शाह।
पांच चीज पृथ्वी सिरे वाह बिकांणा वाह॥
उन्नाळै खाटु भळी सियाळे अजमेर।
नागाणौ नितको भळो सावणं बिकानेर॥
मरु रो पत माळवो नाळी बिकानेर।
कवियाँ ने काठी भळा आँधा ने अजमेर॥
जळ ऊँड़ा थळ उजळा नारि नवळे वेश।
पुरुष पट्टाधर निपजे आई मरुधर देश॥
(संकलन%-मंछाराम परिहार)
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
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