ओ लुळ ओ झुक
ओ लुळ जाई रे हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
ओ तने सिल पे बटांऊं हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
क्यारियां में बाऊं केवडो़ खेताँ में बाऊं हरियो पोदिनो
ओ लुळ ओ झुक
ओ लुळ जाई रे हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
माथा पे ल्याई केवडो़ झोळी में ल्याई हरियो पोदिनो
ओ लुळ ओ झुक
ओ लुळ जाई रे हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
सासूजी ने भावे केवडो़ सुसराजी ने भावे हरियो पोदिनो
ओ लुळ ओ झुक
ओ लुळ जाई रे हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
जेठजी ने भावे केवडो़ जेठाणी ने भावे हरियो पोदिनो
ओ लुळ ओ झुक
ओ लुळ जाई रे हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
देवेरजी ने भावे केवडो़ देवरानी ने भावे हरियो पोदिनो
ओ लुळ ओ झुक
ओ लुळ जाई रे हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
ओ तने सिल पर बटांऊं हरिया पोदीना
ओ झुक जाई रे हरिया पोदीना
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
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*अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा*
लोगों को अब दंड नहीं बल्कि उनको न्याय दिलाया जाएगा। यह अलग बात है कि दंड
दिए बिना न्याय कैसे मिलेगा? सवाल खड़ा तो ...
7 माह पहले
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