नसा रा आंणंद नै बिना नसा वाळौ कांई जाणै। घर वाळा सगळा ई फोड़ा भुगतै पण नसा बाज तौ हमेसां ई मौज करै। नसा में ईं सबसूं सिरै नसौ अमल रौ। राजा नसौ, इण नसां आबै तकलीफ री ठाह पड़ै नीं, पीड री ठाह पड़ै नीं। अर दुख दरद री ठाह पडै नीं। ऊगण री ठाह पड़ै नीं। उणरी भूख कदै ई मिटै नीं अर वौ धापै कदै ई नीं। अघोरी अर अमलदार अेक सरीखा व्है। अैड़ा अेक अमलदार राजा री बात गुणौ। बैटी जांणनै वै आपरी रानी रै माथै कई वळा हाथ फेर देवता। नखां री ठौड केई बार मूछ्या कतर लेवता। माथा री ठौड पगां माथै साफौ बांधौ लेवताअर माथा माथै पगरखियां धर लेवता। आंख्या रो ठोड़ दांतां में सुरमा डाल लेवता। वै अमलदार ठाकर अैड़ा परमहंस हां, तौ ई वै आप सूं वतौ सावचेत इण दुनिया में किणी नै नीं गिणता। उण सूं गौरौ जिण नै पीळियौ। अेकर वै पूरौ अमल जमायनै बैठा हा। बैठा-बैठा ईं जची के दिल्ली फतै करणी। बस, जचता, ईं वै तौ दिल्ली फतै करण सारू उभ व्हिया। नाळ सूं दौ अेक पगोतिया नीचे उतरिया के डील आपा में नीं रह्यौ। डावै कांनी डिगिया अर धड़ांम नीचै। दिल्ली तौ हांकरता फतै व्हैगी। पण ठाकर धड़ाम री आवाज सुणी तौ जार सूं हेलौ मारियौं, हाजरीया, कोई टाबर हेटै पड़ग्यौ, जल्दी उठावौ। म्हैं पड़णा रौ धमीड़ौ सुण लियौ, पण थारै कानां तौ जांणै डूंजा घाल्योड़ा है। म्हैं सावचेती नीं राखूं तौ सगभटाबर पड़ पड़नै मर जावै। दौड़ौ दौड़ौ, देखे उणरै लागी तौ नीं ? राजा रौ हाकौ सुणनै हाजरियां दौड़ता आया। देख्यौ ठाकर खुद हीं तौ जमीं माथै गुड़ियोड़ा मौज करै। हाजरियां टांगा टौळी, कर राजा ने उठायौ तौ वै कह्यौं-हौळै-हौळै, टाबर नै साव हौले उठाज्यौं। आ तौ म्हैं सावचेती राखी। म्हैं अेकलौ जीव कठी कठी ध्यांन राखूं। म्हैं तौ अबै दिल्ली फतै करण सारू जांवू, थें टाबर रौ पूरौं जाब्तौ राखजौ। म्हनै बतावों तौ खरी दुस्टियां के कुण हेटै पड़ियौ। छोटकियां राजकुमार तौ कठै ई नीं पड़ग्यौ ? हाजरियौं कह्यौं-हुकुम, अै तौ आप ई हेटै पड़िया। राजा झिझकनै पूछ्यौ-कांई कह्यौं, म्हैं खुद हेटै पड़ग्यौं। पछै वे जोर सूं अरड़ाटौ मैलियौ-तद तो म्हैं, मरग्यौ, रै मरग्यौं रै। अबै म्है दिल्ली री कीकर फतै करूंला।
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
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