एक सेठ रौ बेटौ ब्याव करनै सासरा सू पाछौ आवतौ हौ। बेटा रा सारा वाळा घणौ दायाजौ दियौ। बारात गाजां-बाजां रै सागै उठा सूं वहीर व्ही। अेक धाड़ैती उण बारात नै लूटण रौ मतौ करियौ। वौ छौटा-मोटी लूट करतौ हौ। वौ सौ मिनखा रौ जत्थौ बणायौ। मौका री घाटी देखनै वठै आपरौ मोरचै लगायौ। सेठ रै कानां में ईं इण बात री भणक पड़गी। बारात पांच सो मिनखा री ही। गांव जावण रौ मारग ई अेक इज हौ। बाराज दूजा मारग सूं नीं जा सके। जै धाड़ैती मारेचां लियां बैठा है तौ वे अक भी जणा नै जीवतौ नीं छोड़ैला। वै मन में सोच लियौ के औ ब्याव घणौं मूघौ पड़ैला। खून-खराबै सूं सुगन बिगड़ैला। बींदणी रै कीं व्हैगौ तौ मूंड़ौ दिखावण जोग ई नीं रैवैला। इण वगत अकल हीं काम आवैला। सेठजी विचार करण लागा। थौड़ी देर पछै बोझ उतरग्यौ। सगळा जांनिया नै विस्वास दियौ के डरण री जरूरत नीं है। सेठा री अकल माथै सगळां नै ई भरोसौ हौ। सैठ बींदणी अर बंदी रै साथै सबसू आगै वाळा रथ में बैठ्या। बारात घाटै पूगी। सेठ तौ पूरौ जाब्तौ करियों बैठा हा। घाटा रै बीच में धाड़ैत आड़ा फिरिया। सेठ तौ निरभै बींदणी नै लेयनै रथ सूं हैटै उतरिया। वांरा दोनूं हाथां में दोय थाळ हां, अेक में मैवो-मिस्ठान, मिसरी अर पतासा भरियोड़ा हां। दूजा थाळ में इक्कीस मोहरां पळकती हीं। सेठ कह्यौ-म्हारीं आ बींदणी आपरै खोळै है। अर म्हारी तरफ सूं आपनै औ मामूली निजराणौ हैं। कबूल करौ। सेठ री बात सुणतां ई ठाकर तलवार अळगी फंेक ली। कह्यौ-म्हारी लाड़ल बेटी, दूधां न्हावौ अर पूतां फळौ। सेठां सांम्हीं देखनै केवण लागा-सेठां, आ बींदणी म्हारै खोळै है, पण बेटी रै दायजा री कीं चीज म्हैं निजरांणा में कबूल नीं करूंला। इणरौ घर रौ पांणी पीवणौ ई म्हारै वास्ते निखेद हैं। पछै ठाकर सेठां रा मोर थापलनै कह्यौ-सेठां, थें अेक बोल र्में इं म्हनै फंसा दियौ। पण, कोई बात नीं, बणी सो भाग री। अबै थै म्हारी तरफ सूं बेटी रै सारू अेक सौ अेक रिपिया कबूल करौ। पछै आपरो जत्थौ लेयनै बारात रै सागै व्हिर व्हिया। घरै पूगियां पछै सेठ ठाकरां नै पाठा नीं जावण दिया। आपरै साथै ई धंधा में भेळा राख दिया। दोनूं भाई व्ळै ज्यूं ऊमर भर भेळा रह्या।
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
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