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बच्चे आसानी से सीख जाते हैं स्थानीय बोली से

Rao GumanSingh Guman singh

Bhaskar News
उदयपुर. स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई के दौरान हिंदी के मुकाबले स्थानीय बोली जल्दी समझ आती है। कई बार अंग्रेजी शब्दों को भी स्थानीय भाषा के माध्यम से सिखाना पड़ता है। पढ़ाई के दौरान शिक्षक स्थानीय (मेवाड़ी) भाषा का प्रयोग अधिक करते हैं। शनिवार को भास्कर संवाददाता ने शहर के प्रमुख सरकारी स्कूलों में जाकर हिन्दी और राजस्थानी भाषा के बारे में जाना तो यह सामने आया।

राजस्थान में राजस्थानी क्यों नहीं : पंडित खेमराज राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की हिन्दी की शिक्षिका मंजु जैन ने कहा कि जब दूसरे राज्यों में उनकी स्थानीय भाषाओं को मान्यता मिली है तो राजस्थानी को क्यों नहीं? स्थानीय भाषा से बच्चों को अच्छे तरीके से समझाया जा सकता है।

बच्चों को सिखाना ज्यादा आसान : राजकीय विद्यालय मावली के हिंदी प्राध्यापक दुर्गेश भट्ट का कहना है कि ज्यादातर बच्चे स्थानीय भाषा में बोलचाल करते हैं। पढ़ाते समय उनकी भाषा में बेहतर तरीके से समझाया जा सकता है।

95 प्रतिशत बच्चे बोलते हैं घर की बोली : गरीब नवाज राजकीय विद्यालय की प्राचार्य पार्वती कोटिया का कहना है कि हिंदी सरल है, लेकिन स्थानीय भाषा में उन्हें बेहतर तरीके से पढ़ाया जा सकता है। 95 प्रतिशत बच्चे घर में बोली जाने वाली भाषा में बात करते हैं।

बच्चे सहजता से बोलते हैं स्थानीय भाषा : बिलोचिस्तान कॉलोनी स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय के डॉ. विवेक वशिष्ट का कहना है कि हिन्दी को हिन्दी भाषा में ही पढ़ाया जाता है, लेकिन बच्चों के स्थानीय भाषा में बोलने पर उन्हें हिन्दी में बोलने को कहा जाता है।
थे समझ ग्या बात नै, मतळब जद टाबर राजस्थानी मांय बोले तौ उणनै राजस्थानी बोलण सूं रोकिजै अर हिंदी बोलण वास्तै मजबुर करिजै, अगर वौ हिंदी नीं बोल सकै तौ फाईन, चार्ज या पनिस्मेंट मिळै. आ हालत है आपणी राजस्थान री आपणै राजस्थान मांय. कांई आपां आजाद हौ ??