इण त्रिवेणी स्वरूप व्यक्तित्व रौ पूरौ वर्णन तो शायद कोई लेखनी नीं कर सके हैं । म्हाणी जांण पिछाण इण परिवार रां वारिश जालेन्द्र सा रातड़िया अर सोहनदान सा रा जमाई जगदीश सा बीठू सिंथल सूं होवण रो श्रेय इण वाटसेप मिडिया नै ही देवूला ।
सीजीआईएफ रे जोधपुर सेमीनार में पधारिया जदै जगसा म्हनै भी चार किताब पढण सारू दीनीं तो मैं घणौ राजी होयो । इणरौ कारण मुफ्त मे किताबां मिलणौ नीं होय न, ओ हो कि मै जिण सुमधुर आवाज री चिरजावां रोजीना सुणू वारे बारे में जाणन रो सुअवसर मिलियो हो ।
इण पोथी मांय राजस्थानी रां मोटा चावां अर ठावां विद्वान श्री आईदानसिह जी भाटी रो पैलो'ई लेख पढ'र मन तिरपत व्हैगों ।
धोल़ी वेल़ू धोरिया, चांदी ज्यू चमकेर ।
रातड़ल्यां रल़ियावणौ, बंको बीकानेर ।।
भांचलिया शाखा में सिंढायचां री मानीती खांप में किसनो जी जोगा मिनख हा अर बीकानेर रा दरबारी कवि हां । बीकानेर महाराज सूरसिह जी बांरी जोगताई अर काव्य शक्ति पर रीझकर वि सं. 1672 में रातड़ियो (रायथलया ) गांव इनायत करियों ।
चौखलै रातड़ियो चावो अण धरा रा सपूत श्री सोहनदान सा रो जलम रातड़िया मांय विक्रम संवत 1995 जेठ वदी चवदस रै दिन होयो । आपरा पिताजी श्री माधोदान जी भी नांमी कवि हा ।
मां रे बालपण में ही बिछोह पछी आप भुवासा रै देखरेख अर काव्य किलोल रे वातावरण में पल़या अर बड़ा व्हैया । श्री सोहनदान सा कवि हृदय रे साथै एक समाज सुधारक, दुर्वयसनों सूं दूर रेवण वाला, साधक , रोज जोत करणो, अंगे सादगी अर वांरी मूंछ दाढी री छटा भी निराली ही, जिण कारण आपने टीवी धारावाहिक -महाराणा प्रताप मांय राजकवि री भूमिका भी निभाई ।
सोहन सा री कवितावा मानवतावादी, भगती में नीति बतावण वाला, नारी पुरूष समानता रां समर्थक हा ।
कुछ पद सोहनदान सा के -
सोहन री सुण सांवरा, विनति बारम्बार ।
अबकी बेर उबारले, हरि भगतां हितकार ।। 1।।
सोहन इण जग में सुणी, हूं बड़ हूं बड़ हेक ।
'मैं' मांही सब मर गये, आगे हुये अनेक ।। 2।।
नार पुरुष नै नर जिको, समझे एक समान ।
ज्ञानी तापस साध सिद्ध, सारा मांय सुजान ।। 3।।
भगती राखे भाव, चरखो काते चाव सूं ।
उर में शील उच्छाव, राजस्थानी नारियां ।। 4।।
जीकारा लागे जबर, बोलण मीठा बोल ।
रूड़ी राजस्थान री, आ भाषा अणमोल ।। 5।।
सोहनदान सा रे नांम रे आगै स्वर्गीय लिखण रो मन नीं करै है इणरों कारण आज भी आपां आपरी बणायोड़ी रचनाओं अर चिरजाओं, आपरी ही'ज आवाज में रोजीना सूणो हो फिर ओं अमर नाम गूंज रियो हैं ।
सोहन सा रे आत्मज जालेन्द्र सा रै सपूती रै पांण ओ लिखित साहित्य पढण रो सुअवसर मिलियों । आपरै परिवार में बहन बेटियो सहित पूरे परिवार ने काव्य वरदान और विरासत में मिलियो हैं ।
इण पौथी में श्रीआईदानसिह जी भाटी, श्री भंवर पृथ्वीराज रतनु, डा प्रकाश अमरावत, डा शक्तिदान चारण "शक्तिसुत", जालेन्द्र सा , डा गुलाबसिह रतनु, श्री गिरधरदान रतनू दासोड़ी, श्री शक्तिप्रसन्न बीठू, श्रीमती ओमकंवर जी, श्री लक्षमणदान कविया खैण, श्री पवन पहाड़िया डेह ।
सभी रचनाऐ इस महान कवि सोहनदान सा रातड़िया के पूर्ण नहीं तो, कम से कम कृतित्व और लेखनीय व्यक्तित्व का सुंदर बखान करने में अवश्य सफल रही हैं ।
टंकण:-जगदीशदान कविया, राजाबन्ध (बिराई )