सखी आव अठै तरसाव मती दरसाव दिखा मुख मंडल रो।
जिण सू तनरो सब ताप मिटै
दुःख द्वंद हटै मन रा मलरो।
तव आनन सूं मन कानन में
चपला रो प्रकाश प्रति पलरो।
मन भावण रुप रिझावण कामण छोड सुभाव अबै छलरो॥
सवैया दुर्मिल।
नरपतदान आवडदान आशिया वैतालिक कृत।
जिण सू तनरो सब ताप मिटै
दुःख द्वंद हटै मन रा मलरो।
तव आनन सूं मन कानन में
चपला रो प्रकाश प्रति पलरो।
मन भावण रुप रिझावण कामण छोड सुभाव अबै छलरो॥
सवैया दुर्मिल।
नरपतदान आवडदान आशिया वैतालिक कृत।
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