दिवै सूं थांनक दीपै,
पुसप सुगंध प्रमाण।
मोती ज्यूं दरियाव मझ,
सिंध में त्यूं सोढाण।
Father day
-
-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें