उमापति मिरगछाळा आसन,
भक्तों के दुख भंजनहारी।
तांडव नृत्य कियो त्रिपुरारी,
देख डरि दुनियांणद सारी,
गरल गटागट पी गणपालक,
नीलकंठ शंभू निरंकारी,
शंभू के तुम नाथ हो शंकर,
पाप हरो पल मोंय पुरारि।।
।।शंभू कजोई।।
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
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*अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा*
लोगों को अब दंड नहीं बल्कि उनको न्याय दिलाया जाएगा। यह अलग बात है कि दंड
दिए बिना न्याय कैसे मिलेगा? सवाल खड़ा तो ...
7 माह पहले
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