उमापति मिरगछाळा आसन,
भक्तों के दुख भंजनहारी।
तांडव नृत्य कियो त्रिपुरारी,
देख डरि दुनियांणद सारी,
गरल गटागट पी गणपालक,
नीलकंठ शंभू निरंकारी,
शंभू के तुम नाथ हो शंकर,
पाप हरो पल मोंय पुरारि।।
।।शंभू कजोई।।
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
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