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नीलकंठ शंभू निरंकारी,

Rao GumanSingh Guman singh

उमापति मिरगछाळा आसन, भक्तों के दुख भंजनहारी। तांडव नृत्य कियो त्रिपुरारी, देख डरि दुनियांणद सारी, गरल गटागट पी गणपालक, नीलकंठ शंभू निरंकारी, शंभू के तुम नाथ हो शंकर, पाप हरो पल मोंय पुरारि।। ।।शंभू कजोई।।