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गंग विराजत संग

Rao GumanSingh Guman singh

गंग विराजत संग तुम्हारे अंग भभूत लगी अति प्यारी कर तिरशूल नहीं दुकूल बाघम्बर तन पर तुम धारी पिवत कालकूट सोहे जटाजूट नंदी की करते हैे असवारी लोचन तव तीन काया अति छीन संग सोहे गिरिजा महतारी राजावत श्रवण सी कृत