गंग विराजत संग तुम्हारे अंग भभूत लगी अति प्यारी
कर तिरशूल नहीं दुकूल बाघम्बर तन पर तुम धारी
पिवत कालकूट सोहे जटाजूट नंदी की करते हैे असवारी
लोचन तव तीन काया अति छीन संग सोहे गिरिजा महतारी
राजावत श्रवण सी कृत
Father day
-
-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें