एक राजा रै कोई टाबर नीं हौ। एक दिन वौ सैर माथै निकलियौ तो उणनै रास्ता में ‘बेमाता‘ मिळी। राजा रै पूछण पर बेमाता कह्यौं जिण मिनख रै करम में जो लिख दूं, वैड़ौ हीं व्है। राजा नै उण माथै विसवास नीं व्हियौ। वौ मजाक करतौ पूछियौ के बता त्हारा भाग में कई है ? बेमाता कह्यौं थ्हारी बेठी रै सागै त्याव करता टैम थ्हारी मौत व्हैला। राजा उणरी बात सुण हंसण लागौ अर कह्यौं त्हारै तो कोई टाबर नीं है, त्या किण सूं करूंला। जेगा री बात, थोड़ा दिनां पछै रानी गरभवती व्हिई। राजा रै मन में शक पैदा व्हियौ। राजा रैमन में शक पैछा व्हियौ। वौ सोचियौ औ छोरौ व्हैला तौ राख लूं लां, अर छोरी व्हिई तो मरवा दूं ला। विधि रा लेख सूं रानी रै छोरी व्हिई। राजा नै दासी सूं कह्यौं, बाई को मुकलादेओ (मार डालो)। राजा छोरी नै खाड़े में डलवा दी। थोड़ी टैम पछै वठै एक कुत्हार और कुत्हारी आया। उणरै टाबर नी हा। कुत्हारी छोरी नै उठाय ली अर घरै ले आई। टैम रे सागै छोरी मोटी व्हिई। एक दिन राजा रा दो घोड़ा अस्तबल सूं छूट नगर में गिया परा। वे उण कुत्हार रै घर में घुस गिया। कुत्हार छोरी सूं कह्यौ, बेटी इन घोड़ा ने बारै निकाल दे। छोरी दोनूं घोड़ा री पीठ माथै थपकी लगाई अर अणनै घर सूं बारै निकाल दिया। छोरी रै हाथ री थपकी लगाती हीं घोड़ा री पीठ माथै सोना रा पंजां उभर गिया। दूजी पीठ माथे चांदी रा पंजा। घोड़ा पाछा गिया। राजा घोड़ौ री पीठ माथै सोना-चांदी रौ पंजो उभरियौ देखियौ तो उणनै घणौ अचत्भौ व्हियौ। पंजा देख वो अणुमान लगायौ कै अे किणी किशोरी हाथ है। वौ मन में ठान लियौ के इण छोरी सूं त्याव करूंला। दूजै दिन वो खेाज शुरू कर दी।गांव में जीमण रौ आयोजन करियौ उणमें जद वा छोरी घोड़ो री पीठ पर थपकी लगाई तौ सुनहला अर रूपहला पंजा उभर आया। राज उणनै राक ली। कुत्हार सूं कह्यौं आपरी लड़की रौ त्याव त्हासूं कर दौ। कुत्हार घणौ ना कह्यौं पण राजहठ रै सामीं एक नीं चाली। लड़की नै जद आ बात ठा पड़ी कै त्याव रचावण वालौ उणरौ बाप हैं तौ वा कह्यौंः- जल्दी पढ़ रे बामणा, बेगों पढ़ रै बामणा, फेरा लेसी बाप और बेटी। वा दो तीन बार आ बात किदी। राजा नै जब पूरी बात ठा पड़ी तौ पश्चाताप में उणरी मौत व्हैगी।
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
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