एक राजा नै बिल्लिया पालणै रो घणे चाव हो,। अेक दिन राजा आप रै खास दरबारियौं नै बुलाय र सगळा ने अेक अेक बिल्ली दीवी अर कह्यौ, इण बिल्लियां नै आप रै घरै ले जावो अर इण रो पालन करौ। जिको भी खरचो लागौ, राज रै खजानै सूं ले य लो। छै म्हीना पछै जिका री बिल्ली सबसूं मोटी ताजी व्हैला, उण नै ईनाम दियौ जावैला। सगळा दरबारी आप आप रै घरे बिल्लियां लेय नै गिया परा। हर काईआप री बिल्ली नै घणो लाड़कोड़ सूं दूध पिला-लिपा र पालण लागा। हरेक दरबारी रै मन रै मांय एक हीं बात हीं कै उण री बिल्ली सबसू मौटी व्हैला, इण वास्ते ईनाम उण ने हीं मिलेळा। पण अेक दरबारी ऐहड़ो भी हो, जिको मन रै मांय सोच्यो कै दूध बिल्ली नै क्यूं पिलाऊं, वो राजा रै खरचे सूं दूध आप रै पेटमें पूगावण लाग्यो। बिल्ली नै पीवण नै कीं कोनी मिल्यो तो वा सूख नै कांटा व्हैगी। छै म्हिना पूरा होवण रे माय दस दिन बचिया तो वो दरबारी उबलते दूध रौ प्याला भरयोअरबिल्ली की गरदन पकड़र उबलते दूध रे मांय उण रो मुड़ो घाल दियो। बिल्ली रो मुड़े बळ ग्यौ। वो दस दिनां तक यूं हीं करतो रह्यो। अब बिल्ली दूध रै नाम सूं हीं डरण लाग ग्यी। छह म्हीना पूरा व्हिया तो सगळा दरबारी आप आप री बिल्ली लेय र दरबार में पूग्या। सगळी बिल्लियां खूब मोटी-ताजी हीं, पण अेक बिल्ली आज मरै, कालै मरै जेहड़ी होय री हीं। बिल्ली री ऐहड़ी सूरत देख राजा लाल पीळो व्हैग्यौ। वै पूछ्यौ, थूं इण बिल्ली ने एहड़ो मुरदार कीकण बणा दिया, राज सूं खरचों कोनी मिल्यो कां ? दरबारी बोल्यों, अनदाता इण मैं म्हारौ कोई अपराध कोनी। आप रा मंत्री म्हनै ऐहड़ी बिल्ली दीवी जिकी दूध पीवे हीं कोनी। राजा अचरज में भरग्यों, पूछ्यों, बिल्ली दूध नीं पीवै, आ बात हो ही नीं सकै। दरबारी कह्यौं, हाथ कंगन नै आरसी कांई अर पछठै लिखै ने फारसी कांई, उणी टैम बिल्ली रे आगे गरम दूध रो प्यालो मंगवाय र राखीज्यो, बिल्ली दूध ने देखता हीं उछल नै दूर जाय नै बैठ ग्यी। राजा ने भरोसो व्हैग्यो, वो सोची कै इण दरबारी रै सागै अन्याव व्हियौ है, इण वास्ते ईनाम इण नै ही दियो जावे। इण री बिल्ली दूध पीवती तो आ सबसूं मोटी व्हैती।
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
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