अेक महंत अेक बांणिया सूं ठागौ करने दस हजार रिपिया झाड़ लिया। बाणियौ घणी ई हाथा-जोड़ी करौ पण महंत तौ पाछी अेक लाल-छद्ाम ई उणनै नीं बताई। बाणिये कह्यौ, मरियां पछै ई अै रिपिया नीं छोडूंला आ जांणज्यौं। उण दिन सूं ईं वौ बांणियौं तौ गिणनै गांठ बांध लीवी। पण कदै ई वौ मूंडै दरसाई कोंनी। रोज रामदुंवारै जावतौ। महंतजी री अणहूंती हाजरी साजतौ। महंतजी लारली सगळी बातां बिसारने गांणिया सूं घणा ई राजी व्हैगा। बांणियौ तौ मन में बात दबायोड़ी राखी, पण महंतजी सांचाणी ई उण दिन वाळी बात आई गई करग्या। बांणियौं खासो बूढ़ों हौ। घणकरौ मांदौ ई रैवतौ। पण वौ रांमदुवारा री हाजरी बजावतौ। अेक दिन बांणिया नै कुजरबौ ताव चढ़ियौ, पण वणै रामदुंवारै गयौ। आवणै उणरै सारै हौ पण पाछौ जावणौ सारै नीं रह्यौ। उणनै आछी तरै जाच पड़गी के आ आखरी घड़ी है। महंतजी ई लखग्या। कह्यौ, भाया, अबै रामजी रौ नांव लै, वौ ई साथै चालैला। बाणियौं कह्यौ- महंतजी मरणौ तो हैं, म्हैं मरण रौ सौच नीं करू। पण म्हनै रात सपनौ आयौ के म्हारौ आधौ सांस कुपाळी में अटक्यौं रैवैला अर आधौं कागलियां में। इण सूं म्हारी मुगती नीं व्हैला। आप मेहरबानी करनै अेक चन्नण री लांठी फाड़ी म्हारी कुपाळी अर अेक तीखी फाड़ी म्हारा कागलिया में ठौक दौ। आखरी वगत म्हनै आपरै हाथा सूं उबारलौ। महंतजी ई जांणियौं जै इणरी मुगती व्है तो चन्नण री दोय फाड़िया ठोरण में म्हनै कांइ जोर आवै। वै चंन्नण रा दोय तीखा फाड़ा उड़नै उणरै मरिया पछै अेक कुपाळी अर अेक कागलिया में ठोक दिया। बांणिया रै दैव लोक होवण री बात सुणी तौ उणरा घरवाळा रांमदुवारै आया। तीन मोट्यार बेटा हा। सेठां री हालत देखी तो वांनै रीस आई। महंत नै पूछयौं तौ वै खुद आपरै मुंडा सूं मंजूर करयौ के सेठा रै कैवणा रै मुजब ई मुगती रौ उपाव करियौ। बेटा कह्यौ - मुगती रो औ उपाव तौ म्हैं आज थारैं मूंडै ई सुणियौ। थें म्हारै भाईजी री हित्या करी हो। म्हैं तो राजाजी नै फरियाद कराला। महंतजी घणी ई हाथा-जोड़ी करी, पण सेठ रा बेटा नीं मांनिया। सेवट लोग बीच में पड़िया अर चाळीस हजार रिपिया में राजीपौ करियौ। उण दिन रा बौल वानै याद आया के मरियां पछै ई रिपियां नीं छोडूंला।
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
5 हफ़्ते पहले
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